सुरेश यादव रतलाम -18 सितम्बर को जिस दिन से अध्यापको के सभी संघ एक जाजम पर आये है,अध्यपको के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ है । मंगलवार से शुक्रवार के मध्य 4 दिनों में प्रदेश के सभी जिलो में अध्यापक संघर्ष समिति का गठन हो गया है ।
एक बात जो मैंने समझी है या मेरा आकलन है 18 के बाद से हमारे अध्यापक साथी रात्री 11 बजे के बाद सोश्यल मिडिया पर सक्रिय नहीं रहते साथ ही अब तो दिन में भी बहस से दूर है । मेरा मानना है की एकता के कारण सभी साथी बड़े आराम से नींद ले पा रहे है ,जो कंही खो ,सी गयी थी ।
कोई किसी पर गलत टिका टिप्पणी नहीं कर रहा न कोई किसी की आलोचना कर रहा है ।सब एक दूसरे को सम्मान दे रहे हैं सभी का एक ही लक्ष्य है कि 25 के अंदोलन को सफल बनायें । हाँ अध्यापक के निशाने पर यदि कोई है तो वह मध्य प्रदेश के मुखिया और सरकार है ।
अध्यापक संघर्ष के ऐतेहासिक 18 वर्षो में पहली बार ज्ञापन में शिक्षा विभाग को बचाने के मुद्दे भी सम्मिलित किये गए है ।पहले ये मुद्दे अध्यापक अंदोलन के मुख्य नारे हुआ करते थे ।यह ज्ञापन सोश्यल मिडिया में बड़े विचार विमर्श के साथ बनाया गया है।इसे आम अध्यापक का ज्ञापन भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी । इस 21 सूत्रीय ज्ञापन में वह सभी मुद्दे है जो आम अध्यापक के अधिकारों की पूर्ति करते है ,साथ ही इसमें गाँव गरीब की शिक्षा को बचाने ,युवाओ के रोजगार संरक्षण और निजीकरण पर रोक की मांग भी सम्मिलित है । इस ज्ञापन में व्यवस्था सुधार के जो मुद्दे है उन एक एक मुद्दे पर बड़ी कार्यशाला आयोजित की जा सकती है । आम अध्यापक संमझ गया है कि विभाग सुरक्षित रहा तो ही उसकी आजीविका चलती रहेगी ।
यह क्रांतिकारी ज्ञापन जब सरकार के नुमाइंदों तक जाएगा तो वे बगले झांकने को मजबूर हो जाएंगे ,निश्चित रुप से यह ज्ञापन अखबारों में छपेगा तो आम जन में स्वतः हमारे प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनेगा ।यह मुद्दे बुद्दिजीवियों और शिक्षाविदो के विचार विमर्श के केंद्र बिंदु होंगे ।
सभी संगठनो के एक जाजम पर आने से आम अध्यापक इस वक्त स्वय को विजेता मान रहा है यही उसकी चैन की नीद की एक वजह है, वह मनाता है कि एक होने से ही वह आधी जंग जित गया है ।और कल अखबारों व समाचार चैनलों में प्रसारित समाचार से उसका उत्साह दोगुना कर दिया है ,लेकिन प्रदेश का अध्यापक इन खबरों को सच्चाई अच्छी तरह से जान चुका है वह अब सरकार के बहकावे में आने वाला नहीं है ,वह सिर्फ आदेश पर विश्वास करेगा । आम अध्यापक की तरफ से स्पष्ट संकेत है कि बात सरकार के किसी नुमाइंदे से कोई बात नहीं अब सिर्फ आदेश हो ।यही नहीं आम अध्यापक अपने 2013 ,2015 और 2016 के अनुभव को दृषिटगत रखते हुए ।अब स्वय को संविलियन तक एक रखने का मन बना चुका है । इस बीच यदि कोई भी एकता में बाधक बना तो अध्यापक उसे कंही का नहीं छोड़ेगा और अपनी नजरो से सदा के लिये गिरा देगा ।
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