Saturday, September 10, 2016

"शासकीय शालाओ को एक ईमानदार और समर्पित अध्यापक टीम की दरकार है "- राशी राठोर देवास


राशी राठोर देवास -हाल ही मै कई विद्यालय बन्द कर उनका सिंविलियन समीपस्थ शाला मै कर दिया गया है व बहुत सी शाला बंद होने की कगार पर है। इस अति संवेदनशील मामले पर हर अध्यापक को अब जागने की आवश्यकता है। कही ना कही हमे अपने अन्तर्मन मै झाकने की आवश्यकता है।
      संसाधन और अध्यापक या अतिथिशिक्षक की व्यवस्था होने के बाद भी टाप करना तो दूर शासकीय शाला गुणवत्ता के मामले मै पासिंग नम्बर भी नही ला पा रही। जबकि सभी शासकीय शाला मै पदस्थ अध्यापक प्रतिस्पर्धा परीक्षा मै टाप करके ही आते है। आम के पेड मै आम ही लगते है, फिर कैसे इन प्रतिस्पर्धा प्रतियोगीताओ के विजेताओं से नयी प्रतिभाओ का सृजन नही हो पा रहा ? क्यों चले गये मेरी शाला छोडकर छात्र?? इस प्रश्न पर हर अध्यापक विचार करे ।सतत व्यापक मुल्यांकन, दक्षता संवर्धन, बेसलाइन, प्रतिभा पर्व सब मिलकर भी शाला मै प्रतिभाओं का सृजन नही कर पा रहे है। इसी तारतम्य मै अब शाला सिद्धी योजना जोड दी गयी है। निश्चित हि शाला सिद्धी योजना मै एक ईमानदार अध्यापक की आत्मा बसती है। लाखो अध्यापक-प्रशिक्षण , हजारो कार्यशाला, अनगिनत बैठक और अनाप-शनाप आर्थिक नुकसान सिर्फ इस प्रश्न का हल खोजने मै लगा है की शासकीय शाला मै ऐसा क्या -क्या करे हो की यहाँ के छात्र अन्य विद्यालय मै  ना जाये ?? सरकार इस समस्या के हल से भी अनभिज्ञ नही है, पर हल करना ही नही चाहती है। शाला सिद्धी योजना का प्रशिक्षण लेते समय एक विडियो दिखाया गया । इस विडियो मै बताया गया की एक शासकीर शाला मै ,मात्र एक अध्यापक, किराये के भवन मै कुल 5 कक्षाओ को एक साथ बहुत ही सुनियोजित तरीके से सभी संसाधनो के आभाव मै पढा रहे थे। प्रशिक्षण मै बताया गया की ऐसे ही टीएलएम से हम भी अपनी शाला मै पढाये, किन्तु वास्तव मै तो इस विडियो ने कुछ और ही संदेश दिया।वह यह कीइस विडियो की तरह एक ईमानदार अध्यापक हर शाला मै पदस्थ कर दिजिये, तो शासकीय शाला फिर से बच्चों से खचाखच भर जायेगी। इस बार गैरशैक्षणिक कार्य मै लिप्त रहने की विवशता भी नही है क्योकि हर शाला मै छात्र अनुपात मै अतीथी शिक्षक उपलब्ध है।कार्यशाला ,प्रशिक्षण,गोष्ठी, सब कुछ अध्यापकों को मानसिक रूप तैयार व प्रेरित करने हेतु आयोजित किये जाये। एक प्रेरित अध्यापक खुद अपनी अध्यापन विधी बना के वो सब कुछ कर दिखायेगा जो की अब तक  दिवास्वप्न मै था। जब शैतान इन्सान का माइन्ड वाश करके उसे आतंकवादी तक बना सकता है तो सरकार आम अध्यापक को बेहतर प्रबन्धन और शिक्षण हेतु प्रेरित तक नही कर सकती ?? करोडो रूपये प्रशिक्षण के नाम पर फूंकने की जगह हर शाला मै एक ईमानदार और समर्पित अध्यापको की टीम तैनात कर दी जाये तो शासकीय शाला के उजडते चमन मै फिर से बहार आ जायेगीं।
"आओ शाला और खुद के
को बचाने की बात करे
इस बार सफलता मिलने तक
प्रयास करे "

लेखिका स्वय अध्यापक है और यह  उनके निजी विचार हैं .

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Saturday, September 10, 2016

"शासकीय शालाओ को एक ईमानदार और समर्पित अध्यापक टीम की दरकार है "- राशी राठोर देवास


राशी राठोर देवास -हाल ही मै कई विद्यालय बन्द कर उनका सिंविलियन समीपस्थ शाला मै कर दिया गया है व बहुत सी शाला बंद होने की कगार पर है। इस अति संवेदनशील मामले पर हर अध्यापक को अब जागने की आवश्यकता है। कही ना कही हमे अपने अन्तर्मन मै झाकने की आवश्यकता है।
      संसाधन और अध्यापक या अतिथिशिक्षक की व्यवस्था होने के बाद भी टाप करना तो दूर शासकीय शाला गुणवत्ता के मामले मै पासिंग नम्बर भी नही ला पा रही। जबकि सभी शासकीय शाला मै पदस्थ अध्यापक प्रतिस्पर्धा परीक्षा मै टाप करके ही आते है। आम के पेड मै आम ही लगते है, फिर कैसे इन प्रतिस्पर्धा प्रतियोगीताओ के विजेताओं से नयी प्रतिभाओ का सृजन नही हो पा रहा ? क्यों चले गये मेरी शाला छोडकर छात्र?? इस प्रश्न पर हर अध्यापक विचार करे ।सतत व्यापक मुल्यांकन, दक्षता संवर्धन, बेसलाइन, प्रतिभा पर्व सब मिलकर भी शाला मै प्रतिभाओं का सृजन नही कर पा रहे है। इसी तारतम्य मै अब शाला सिद्धी योजना जोड दी गयी है। निश्चित हि शाला सिद्धी योजना मै एक ईमानदार अध्यापक की आत्मा बसती है। लाखो अध्यापक-प्रशिक्षण , हजारो कार्यशाला, अनगिनत बैठक और अनाप-शनाप आर्थिक नुकसान सिर्फ इस प्रश्न का हल खोजने मै लगा है की शासकीय शाला मै ऐसा क्या -क्या करे हो की यहाँ के छात्र अन्य विद्यालय मै  ना जाये ?? सरकार इस समस्या के हल से भी अनभिज्ञ नही है, पर हल करना ही नही चाहती है। शाला सिद्धी योजना का प्रशिक्षण लेते समय एक विडियो दिखाया गया । इस विडियो मै बताया गया की एक शासकीर शाला मै ,मात्र एक अध्यापक, किराये के भवन मै कुल 5 कक्षाओ को एक साथ बहुत ही सुनियोजित तरीके से सभी संसाधनो के आभाव मै पढा रहे थे। प्रशिक्षण मै बताया गया की ऐसे ही टीएलएम से हम भी अपनी शाला मै पढाये, किन्तु वास्तव मै तो इस विडियो ने कुछ और ही संदेश दिया।वह यह कीइस विडियो की तरह एक ईमानदार अध्यापक हर शाला मै पदस्थ कर दिजिये, तो शासकीय शाला फिर से बच्चों से खचाखच भर जायेगी। इस बार गैरशैक्षणिक कार्य मै लिप्त रहने की विवशता भी नही है क्योकि हर शाला मै छात्र अनुपात मै अतीथी शिक्षक उपलब्ध है।कार्यशाला ,प्रशिक्षण,गोष्ठी, सब कुछ अध्यापकों को मानसिक रूप तैयार व प्रेरित करने हेतु आयोजित किये जाये। एक प्रेरित अध्यापक खुद अपनी अध्यापन विधी बना के वो सब कुछ कर दिखायेगा जो की अब तक  दिवास्वप्न मै था। जब शैतान इन्सान का माइन्ड वाश करके उसे आतंकवादी तक बना सकता है तो सरकार आम अध्यापक को बेहतर प्रबन्धन और शिक्षण हेतु प्रेरित तक नही कर सकती ?? करोडो रूपये प्रशिक्षण के नाम पर फूंकने की जगह हर शाला मै एक ईमानदार और समर्पित अध्यापको की टीम तैनात कर दी जाये तो शासकीय शाला के उजडते चमन मै फिर से बहार आ जायेगीं।
"आओ शाला और खुद के
को बचाने की बात करे
इस बार सफलता मिलने तक
प्रयास करे "

लेखिका स्वय अध्यापक है और यह  उनके निजी विचार हैं .

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