Thursday, August 11, 2016

आम अध्यापक और अध्यापको के नेतृत्व से विनम्र अपील ,अब समस्या का समाधान आवश्यक है - सुरेश यदाव रतलाम


सुरेश यादव रतलाम - गत वर्ष सितम्बर माह में आंदोलन हुआ था ,तब से अब तक सिर्फ और सिर्फ सरकार ने अखबारों में अपनी वाह- वाही करवाई है की उसने अध्यापको को सामान वेतन दे दिया जबकि वास्तविकता क्या है आप सभी जानते हैं हम वँही के वँही हैं । अध्यापक निराश है उसके हाथ तो रीते ही हैं,कभी संवाद और कभी असंवाद धड़कनो को और बड़ा देता है । संपूर्ण अध्यापक  समाज भी वर्तमान में वेतन निर्धारण के लिए गणना पत्रक को लेकर आशंकित और चिंतित हैं।
      

  श्री भरत पटेल के नेतृत्व में 25 जुलाई 2016 को डीपीआई में अधिकारियों से चर्चा की गयी । तब भरत भाई की तरफ से कहा गया कि , वार्ता सफल रही है और हमारी मांग अनुसार ही प्रस्ताव बनाकर विभाग ,शासन को भेज देगा।  इसके बाद भरत पटेल जी के नेतृत्व में शिक्षा मंत्री से 3 अगस्त को वार्ता हुई उस दिन यह प्रचारित-प्रसारित  किया गया कि वार्ता असफल रही। सरकार ने तीन प्रस्ताव दिए लेकिन हमें मंजूर नहीं है ।      

 भारत भाई ,लेकिन सरकार के तीन प्रस्ताव हैं क्या ? अध्यापक हित में आवश्यक है की  आप तो कम से कम अपना प्रस्ताव  सार्वजनिक करें ,साथ ही सरकार के 3 प्रस्ताव भी सार्वजनिक करें । जिस से अध्यापक उन प्रस्तावों को देख सके , समझ सकें और प्रदेश के अध्यापको में आम राय बन सके। क्योकि अध्यापक की समस्या  सिर्फ 7440 +2400,9300+3200,10230+3600 मिल जाने भर  से हल नही  हो जायेगी ।       

 साथियो सरकार ने 1125.10 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार बताया है । उसमे 141.85 करोड़ रूपये वित्त वर्ष 15 -16 के लिए ,वित्त वर्ष 16-17 के लिए 704.40 करोड़ और वित्त वर्ष 17-18 के लिए 278.85 करोड़  स्वीकृत किये है ।सरकार ने 2016-17 और,2017-18 तक का आंकलन कर लिया है ।       

 2016 में 32500 संविदा शिक्षक अध्यापक बनेगे ,वंही 2017 में 12000 संविदा शिक्षक अध्यापक बनेगे ,(अनुत्तीर्ण गुरूजी सहित)। सरकार ने सम्भवतः 2017 तक सभी पर आने वाले व्यय का आंकलन कर लिया है 2017  में प्रदेश में 228500 अध्यापक होगे ।           

 ्तअब 3 अगस्त  के  बाद संवाद समाप्त हो गया लगता है । कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है ।लेकिन  इस परिदृश्य  में  साफ़ साफ़  नजर आ रहा है कि  ,अध्यापक अब  निराश हो चला है,उसका कटा वेतन भी प्राप्त नहीं हुआ है और इस कारण  सरकार से लंबी लड़ाई लड़ने की क्षमता भी कम हो गयी  है । 

      

 सरकार भी मुख्य समस्या को लंबा खिंच कर अन्य समस्याओं को हल करने से बच रही है और संतान देखभाल अवकाश की तरह मनगढ़ंत विवाद भी उत्पन्न कर रही है ,जिसमें  सरकार अपनी गलत जिद को सही साबित करने के लिए और गलतियां करती जा रही है ।    


  अब सर्व श्री जगदीश यादव  ,ब्रजेश शर्मा  ,मनोहर दुबे और राकेश नायक जी से आग्रह  है कि वे ,सरकार से वार्ता कर कुछ हल निकालें । और सर्व प्रथम 2015 की हड़ताल का वेतन भुगतान करवायें का प्रयास प्रारंभ करें  । आप के पास अनुभव है ,सभी जानते है  हर वक्त  जोश से काम नहीं चलता होश अत्यन्त आवश्यक  है ।
      

 वार्ता कर हल निकालने की बात इस लिए ,क्योकी हम  पडोसी दुश्मन मुल्क से लड़ाई नहीं लड़ रहे  हैं  ,कर्मचारी हैं ,और कर्मचारी अंदोलन की विशेषता ही यह है कि जिस से हमें जंग लड़नी  है बात भी उसी सरकार से करनी है।  और जिस से हम लड़ रहे हैं, उसी सरकार के अधीन काम भी करना है । और कोई भी अंदोलन तभी सफल माना जाता है जब उस से जुड़े  कर्मचारियों का लाभ हो सके।     

 आज समाचारो में यह  भी है ,की " राज्य सभा में प्रस्ताव पारित हुआ की कश्मीर की जनता से सरकार और राजनीतिक दलों को  बात करनी चाहिए "  क्योंकि संवाद से ही समस्या का हल होगा । और हम तो राम और कृष्ण को मानने वाले हैं  ,जिन्होंने धर्मयुद्ध के पहले भी संवाद पर बल दिया ।भले ही उन्हें जानकारी थी की संवाद का कोई हल नहीं निकलेगा।     

 मेरा आप सभी वरिष्ठजनो से आग्रह है कि , सरकार से संवाद स्थापित कर पहले तो यह जानकारी लेवें की सरकार की कुल कितनी राशी खर्च करने की क्षमता है । उसके बाद  यह तय करें की उतनी राशी में प्रदेश के अध्यापक को  अधिकतम क्या आर्थिक लाभ हो सकता है । 

  आप सभी वरिष्ठ जनो को मेरी तरफ से यह भी प्रस्ताव है कि , इन संभावनाओं पर भी विचार करें की ,"अंतरिम राहत में सुधार कर के 2013 के आदेश अनुसार लाभ प्रदान किया जाए ,उस से तत्काल  मिल रहे वेतन पर सहायक अध्यापक को 4700,4800,5000 अध्यापक को 2050,2250,2600 और वरिष्ठ अध्यापक को 3350,3550,3750 का लाभ होगा।  और भविष्य में इसका लाभ यह होगा की , हमारा वेतन निर्धारण 2007 से व्यवस्थित तरीके से हो पायेगा ,इस प्रकार 7 वां वेतन मान जो की राज्य में 2018 में मिलने की सम्भवना है भी हमें सही तरीके से मिल पायेगा  ।        

 साथियो हमारे बुजुर्गों ने भी कहा है की  , " पास के लाभ की अपेक्षा दूर की हानि पर भी विचार करना चाहिए ।" इस लिए आम अध्यापको से अपील है की ,परिस्थियों को समझें कोई भी आंदोलन तभी सफल माना जायेगा जब  तत्काल कुछ आर्थिक लाभ  हो और उसके दूरगामी  परिणाम निकले । यूँ जय जय कार  से कुछ नहीं होगा,हाँ हम अपने और दूसरों के कान को खुश कर सकतें हैं। 

 लेखक स्वयं अध्यापक है  और यह उनकी निजी राय  हैं। 

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Thursday, August 11, 2016

आम अध्यापक और अध्यापको के नेतृत्व से विनम्र अपील ,अब समस्या का समाधान आवश्यक है - सुरेश यदाव रतलाम


सुरेश यादव रतलाम - गत वर्ष सितम्बर माह में आंदोलन हुआ था ,तब से अब तक सिर्फ और सिर्फ सरकार ने अखबारों में अपनी वाह- वाही करवाई है की उसने अध्यापको को सामान वेतन दे दिया जबकि वास्तविकता क्या है आप सभी जानते हैं हम वँही के वँही हैं । अध्यापक निराश है उसके हाथ तो रीते ही हैं,कभी संवाद और कभी असंवाद धड़कनो को और बड़ा देता है । संपूर्ण अध्यापक  समाज भी वर्तमान में वेतन निर्धारण के लिए गणना पत्रक को लेकर आशंकित और चिंतित हैं।
      

  श्री भरत पटेल के नेतृत्व में 25 जुलाई 2016 को डीपीआई में अधिकारियों से चर्चा की गयी । तब भरत भाई की तरफ से कहा गया कि , वार्ता सफल रही है और हमारी मांग अनुसार ही प्रस्ताव बनाकर विभाग ,शासन को भेज देगा।  इसके बाद भरत पटेल जी के नेतृत्व में शिक्षा मंत्री से 3 अगस्त को वार्ता हुई उस दिन यह प्रचारित-प्रसारित  किया गया कि वार्ता असफल रही। सरकार ने तीन प्रस्ताव दिए लेकिन हमें मंजूर नहीं है ।      

 भारत भाई ,लेकिन सरकार के तीन प्रस्ताव हैं क्या ? अध्यापक हित में आवश्यक है की  आप तो कम से कम अपना प्रस्ताव  सार्वजनिक करें ,साथ ही सरकार के 3 प्रस्ताव भी सार्वजनिक करें । जिस से अध्यापक उन प्रस्तावों को देख सके , समझ सकें और प्रदेश के अध्यापको में आम राय बन सके। क्योकि अध्यापक की समस्या  सिर्फ 7440 +2400,9300+3200,10230+3600 मिल जाने भर  से हल नही  हो जायेगी ।       

 साथियो सरकार ने 1125.10 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार बताया है । उसमे 141.85 करोड़ रूपये वित्त वर्ष 15 -16 के लिए ,वित्त वर्ष 16-17 के लिए 704.40 करोड़ और वित्त वर्ष 17-18 के लिए 278.85 करोड़  स्वीकृत किये है ।सरकार ने 2016-17 और,2017-18 तक का आंकलन कर लिया है ।       

 2016 में 32500 संविदा शिक्षक अध्यापक बनेगे ,वंही 2017 में 12000 संविदा शिक्षक अध्यापक बनेगे ,(अनुत्तीर्ण गुरूजी सहित)। सरकार ने सम्भवतः 2017 तक सभी पर आने वाले व्यय का आंकलन कर लिया है 2017  में प्रदेश में 228500 अध्यापक होगे ।           

 ्तअब 3 अगस्त  के  बाद संवाद समाप्त हो गया लगता है । कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है ।लेकिन  इस परिदृश्य  में  साफ़ साफ़  नजर आ रहा है कि  ,अध्यापक अब  निराश हो चला है,उसका कटा वेतन भी प्राप्त नहीं हुआ है और इस कारण  सरकार से लंबी लड़ाई लड़ने की क्षमता भी कम हो गयी  है । 

      

 सरकार भी मुख्य समस्या को लंबा खिंच कर अन्य समस्याओं को हल करने से बच रही है और संतान देखभाल अवकाश की तरह मनगढ़ंत विवाद भी उत्पन्न कर रही है ,जिसमें  सरकार अपनी गलत जिद को सही साबित करने के लिए और गलतियां करती जा रही है ।    


  अब सर्व श्री जगदीश यादव  ,ब्रजेश शर्मा  ,मनोहर दुबे और राकेश नायक जी से आग्रह  है कि वे ,सरकार से वार्ता कर कुछ हल निकालें । और सर्व प्रथम 2015 की हड़ताल का वेतन भुगतान करवायें का प्रयास प्रारंभ करें  । आप के पास अनुभव है ,सभी जानते है  हर वक्त  जोश से काम नहीं चलता होश अत्यन्त आवश्यक  है ।
      

 वार्ता कर हल निकालने की बात इस लिए ,क्योकी हम  पडोसी दुश्मन मुल्क से लड़ाई नहीं लड़ रहे  हैं  ,कर्मचारी हैं ,और कर्मचारी अंदोलन की विशेषता ही यह है कि जिस से हमें जंग लड़नी  है बात भी उसी सरकार से करनी है।  और जिस से हम लड़ रहे हैं, उसी सरकार के अधीन काम भी करना है । और कोई भी अंदोलन तभी सफल माना जाता है जब उस से जुड़े  कर्मचारियों का लाभ हो सके।     

 आज समाचारो में यह  भी है ,की " राज्य सभा में प्रस्ताव पारित हुआ की कश्मीर की जनता से सरकार और राजनीतिक दलों को  बात करनी चाहिए "  क्योंकि संवाद से ही समस्या का हल होगा । और हम तो राम और कृष्ण को मानने वाले हैं  ,जिन्होंने धर्मयुद्ध के पहले भी संवाद पर बल दिया ।भले ही उन्हें जानकारी थी की संवाद का कोई हल नहीं निकलेगा।     

 मेरा आप सभी वरिष्ठजनो से आग्रह है कि , सरकार से संवाद स्थापित कर पहले तो यह जानकारी लेवें की सरकार की कुल कितनी राशी खर्च करने की क्षमता है । उसके बाद  यह तय करें की उतनी राशी में प्रदेश के अध्यापक को  अधिकतम क्या आर्थिक लाभ हो सकता है । 

  आप सभी वरिष्ठ जनो को मेरी तरफ से यह भी प्रस्ताव है कि , इन संभावनाओं पर भी विचार करें की ,"अंतरिम राहत में सुधार कर के 2013 के आदेश अनुसार लाभ प्रदान किया जाए ,उस से तत्काल  मिल रहे वेतन पर सहायक अध्यापक को 4700,4800,5000 अध्यापक को 2050,2250,2600 और वरिष्ठ अध्यापक को 3350,3550,3750 का लाभ होगा।  और भविष्य में इसका लाभ यह होगा की , हमारा वेतन निर्धारण 2007 से व्यवस्थित तरीके से हो पायेगा ,इस प्रकार 7 वां वेतन मान जो की राज्य में 2018 में मिलने की सम्भवना है भी हमें सही तरीके से मिल पायेगा  ।        

 साथियो हमारे बुजुर्गों ने भी कहा है की  , " पास के लाभ की अपेक्षा दूर की हानि पर भी विचार करना चाहिए ।" इस लिए आम अध्यापको से अपील है की ,परिस्थियों को समझें कोई भी आंदोलन तभी सफल माना जायेगा जब  तत्काल कुछ आर्थिक लाभ  हो और उसके दूरगामी  परिणाम निकले । यूँ जय जय कार  से कुछ नहीं होगा,हाँ हम अपने और दूसरों के कान को खुश कर सकतें हैं। 

 लेखक स्वयं अध्यापक है  और यह उनकी निजी राय  हैं। 

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