Sunday, June 5, 2016

सरकार वास्तविक लाभ क्यों नहीं देना चाहती अध्यापको को - रिजवान खान बैतूल


कुछ अंदर की बाते.........

रिजवान खान -  वर्षो से पीड़ित संवर्ग से इंतिहा की हद तक दुश्मनी का क्या कारण हो सकता है जबकि विधायक मंत्री यहाँ तक की मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से हमारे पक्ष में बयान देते है ? इसी यक्ष प्रश् का उत्तर और कारणों की पड़ताल में कुछ अनदेखे अनसमझे पहलू उजागर हुए है जिसमे से एक रोचक पहलू पर गौर करे........... 

वरिष्ठ वेतनमान से जुड़ा एक तथ्य जो हमारे वेतन निर्धारण में सबसे बड़ी रुकावट बन रहा है वह यह की हमारे 1998 2001 और 2003 के वरिष्ठ अध्यापक भाइयो को नियमानुसार नियमानुसार छठे वेतन निर्धारण के फलस्वरूप क्रमोन्नत हाई स्कूल प्राचार्य का वेतनमान और ग्रेड पे मिल जायेगी जो की एक संवर्ग विशेष बिलकुल नही चाहता. क्योकि जब वेतनमान और ग्रेड पे मिल जायेगी तो राजपत्रित अधिकारी का दर्जा भी देना होगा.......फिर ddo पॉवर का मामला.......फिर dpi में मलाईदार पदों पर नियुक्ति .................राज्य शिक्षा केंद्र में बड़े पदों पर नियुक्ति........ जनपद ceo जैसे पदों पर प्रतिनियुक्ति का मामला........... ऐसे

बहुत से दरवाजे बन्द करने की साजिश है.
अध्यापक सुचना क्रांति के युग में कंप्यूटर लेपटोप स्मार्टफोन से लैस है. बड़ी संख्या में pgdca bca mca यहाँ तक की सॉफ्टवेयर इंजीनियर तक हमारे संवर्ग में भरे पड़े है. अब चुनाव में sms भी ना कर सकने वाले हमारा रास्ता रोकने में लगे है. आज अध्यापक की योग्यता ही उसके रास्ते में रुकावट बन रही है.

लेखक खेल अनुदेशक ( अध्यापक ) हैं और यह उनके निजी विचार है

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Sunday, June 5, 2016

सरकार वास्तविक लाभ क्यों नहीं देना चाहती अध्यापको को - रिजवान खान बैतूल


कुछ अंदर की बाते.........

रिजवान खान -  वर्षो से पीड़ित संवर्ग से इंतिहा की हद तक दुश्मनी का क्या कारण हो सकता है जबकि विधायक मंत्री यहाँ तक की मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से हमारे पक्ष में बयान देते है ? इसी यक्ष प्रश् का उत्तर और कारणों की पड़ताल में कुछ अनदेखे अनसमझे पहलू उजागर हुए है जिसमे से एक रोचक पहलू पर गौर करे........... 

वरिष्ठ वेतनमान से जुड़ा एक तथ्य जो हमारे वेतन निर्धारण में सबसे बड़ी रुकावट बन रहा है वह यह की हमारे 1998 2001 और 2003 के वरिष्ठ अध्यापक भाइयो को नियमानुसार नियमानुसार छठे वेतन निर्धारण के फलस्वरूप क्रमोन्नत हाई स्कूल प्राचार्य का वेतनमान और ग्रेड पे मिल जायेगी जो की एक संवर्ग विशेष बिलकुल नही चाहता. क्योकि जब वेतनमान और ग्रेड पे मिल जायेगी तो राजपत्रित अधिकारी का दर्जा भी देना होगा.......फिर ddo पॉवर का मामला.......फिर dpi में मलाईदार पदों पर नियुक्ति .................राज्य शिक्षा केंद्र में बड़े पदों पर नियुक्ति........ जनपद ceo जैसे पदों पर प्रतिनियुक्ति का मामला........... ऐसे

बहुत से दरवाजे बन्द करने की साजिश है.
अध्यापक सुचना क्रांति के युग में कंप्यूटर लेपटोप स्मार्टफोन से लैस है. बड़ी संख्या में pgdca bca mca यहाँ तक की सॉफ्टवेयर इंजीनियर तक हमारे संवर्ग में भरे पड़े है. अब चुनाव में sms भी ना कर सकने वाले हमारा रास्ता रोकने में लगे है. आज अध्यापक की योग्यता ही उसके रास्ते में रुकावट बन रही है.

लेखक खेल अनुदेशक ( अध्यापक ) हैं और यह उनके निजी विचार है

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