Sunday, June 12, 2016

राज्य अध्यापक संघ के बिना प्रदेश का सम्पूर्ण अध्यापक समाज अधूरा हे - नरेंद्र भार्गव गुना

नरेंद्र भार्गव गुना - साथियों  ,सादर वंदे, राज्य अध्यापक संघ के बिना प्रदेश का सम्पूर्ण अध्यापक समाज अधूरा हे विगत वीस वर्षों के संघर्ष ने राज्य अध्यापक संघ को प्रदेश में विशिष्ठ पहचान दिलाई हे।  वर्तमान में प्रदेश के कोने कोने में कार्यरत अध्यापक भाई ,राज्य अध्यापक संघ की ओर प्रेरित हो रहा हे और यह अपेक्षा  कर रहा हे की प्रदेश का एक मात्र संगठन राज्य अध्यापक संघ ही समस्याओ से निजात दिला सकता हे। इसमें कतई संदेह नहीं हे की आज तक जो शासन से अध्यापक को जो सुविधाएँ मिली हैं उसमे राज्य अध्यापक संघ का महत्वपूर्ण ही नहीं सम्पूर्ण योगदान हे। आज प्रत्येक अध्यापक कह रहा हे कि शिक्षा विभाग में संविलियन हो ,छटवां वेतनमान हो वीमा और ट्रांसफर की नीति हो इसका निराकरण सिर्फ रा.अ.स. ही कर सकता हे। आज सम्पूर्ण प्रदेश में राज्य अध्यापक संघ की लहर चल रही हे।प्रत्येक अध्यापक हमसे जुड़ना चाहता हे।
     
        शिक्षा समाज में व् समस्त कर्मचारी संगठनो में जिसका प्रदेश अध्यक्ष विधान सभा में शानदार जीत के साथ पहुंचा हे हमें गर्व हे की भाई मुरलीधर आज सम्मानीय विधायक हे।एक समय था जब हम आंदोलन के दौरान कई विधायको से गुहार लगाते थे की हमारे इस प्रश्न को विधान सभा में उठाना हे किन्तु आज श्री पाटीदार जी के विधायक बनने से अध्यापकों की कई समस्यां स्वतः ही निराकृत हो रही हैऔर आंदोलन व् हड़ताल की आवश्यकता ही नहीं पड रही हे।श्री पाटीदार जी के विधायक बनने के बाद विधान सभा का एक भी सत्र इस प्रकार का नहीं रहा जहा अध्यापकों के प्रश्न न उठाये गए हों।हर विधान सभा में अध्यापकों की आवाज दबंगता से गूंज रही हे।प्रदेश के समस्त कर्मचारी संगठनो को आंदोलन करना राज्य अध्यापक संघ व् भाई पाटीदार जी ने एवं अध्यापकों ने सिखाया हे।
 
      आज जो मुकाम राज्य अध्यापक संघ ने हासिल किया है उसे दूसरा संगठन नहीं कर सकता कई मान्यता व् गैर मान्यता प्राप्त संगठन भी राज्य अध्यापक संघ का उदहारण देने में गर्व महसूस  करते हे।और कहते हे की आंदोलन करना सीखो तो रास से।
मुझे याद हे की 1995 से 2000 तक के सारे कर्मचारी संगठन निष्क्रिय थे लेकिन भोपाल  में जब भाई पाटीदार जी के नेतृत्व में राज्य शिक्षा कर्मी संघ का गठन किया गया और संघर्ष को निरंतर जारी रखा उसका ही रिजल्ट हे की 500 रूपए में काम करने वाला शिक्षा कर्मी आज सम्मान जनक वेतन ही नहीं वल्कि सम्मान जनक पदनाम के साथ आपने दायित्व को निभा रहा हे।
      साथियों 20 वर्षो का संघर्ष मायने रखता हे आज 1995 का शिक्षाकर्मी अपनी सेवा के अंतिम पड़ाव पैर हे किन्तु हमने संघर्ष के दम पर नई पीढ़ी का एक नया रास्ता खोल दिया हे प्रदेश के संविदा शिक्षक, और गुरुजियों को भी अध्यापक का दर्जा दिलाकर समाज में उत्कृष्ट कार्य किया हे। आज हमारे संघर्ष के रिजल्ट के कारन हजारों साथी हमारे सुख दुख में साथ खड़े हैं हमने एक संगठन ही नहीं एक परिवार का निर्माण किया हे जो ह्रदय के साथ एक दूसरे के साथ जुड़ा हुआ हे।
       आने वाला समय राज्य अघ्यापक संघ का हे शिक्षा विभाग में संविलियन सहित नियमित शिक्षको के समान समस्त सुभिधाएँ हमें मिलेंगी। में किसी संगठनो की बात नहीं करता में तो सिर्फ अपने काम पैर विश्वास कर आगे बढ़ता हूँ।
       मुझे रास ने यह भी सिखाया हे की सकारात्मक सोच के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर मेहनत करो तो सफलता निश्चित हे।
में आपने को रास का सदस्य मानकर कार्य करता हु की में भी इसका एक हिस्सा हूँ।(यह लेखक की निजी राय हैं)

                            

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Sunday, June 12, 2016

राज्य अध्यापक संघ के बिना प्रदेश का सम्पूर्ण अध्यापक समाज अधूरा हे - नरेंद्र भार्गव गुना

नरेंद्र भार्गव गुना - साथियों  ,सादर वंदे, राज्य अध्यापक संघ के बिना प्रदेश का सम्पूर्ण अध्यापक समाज अधूरा हे विगत वीस वर्षों के संघर्ष ने राज्य अध्यापक संघ को प्रदेश में विशिष्ठ पहचान दिलाई हे।  वर्तमान में प्रदेश के कोने कोने में कार्यरत अध्यापक भाई ,राज्य अध्यापक संघ की ओर प्रेरित हो रहा हे और यह अपेक्षा  कर रहा हे की प्रदेश का एक मात्र संगठन राज्य अध्यापक संघ ही समस्याओ से निजात दिला सकता हे। इसमें कतई संदेह नहीं हे की आज तक जो शासन से अध्यापक को जो सुविधाएँ मिली हैं उसमे राज्य अध्यापक संघ का महत्वपूर्ण ही नहीं सम्पूर्ण योगदान हे। आज प्रत्येक अध्यापक कह रहा हे कि शिक्षा विभाग में संविलियन हो ,छटवां वेतनमान हो वीमा और ट्रांसफर की नीति हो इसका निराकरण सिर्फ रा.अ.स. ही कर सकता हे। आज सम्पूर्ण प्रदेश में राज्य अध्यापक संघ की लहर चल रही हे।प्रत्येक अध्यापक हमसे जुड़ना चाहता हे।
     
        शिक्षा समाज में व् समस्त कर्मचारी संगठनो में जिसका प्रदेश अध्यक्ष विधान सभा में शानदार जीत के साथ पहुंचा हे हमें गर्व हे की भाई मुरलीधर आज सम्मानीय विधायक हे।एक समय था जब हम आंदोलन के दौरान कई विधायको से गुहार लगाते थे की हमारे इस प्रश्न को विधान सभा में उठाना हे किन्तु आज श्री पाटीदार जी के विधायक बनने से अध्यापकों की कई समस्यां स्वतः ही निराकृत हो रही हैऔर आंदोलन व् हड़ताल की आवश्यकता ही नहीं पड रही हे।श्री पाटीदार जी के विधायक बनने के बाद विधान सभा का एक भी सत्र इस प्रकार का नहीं रहा जहा अध्यापकों के प्रश्न न उठाये गए हों।हर विधान सभा में अध्यापकों की आवाज दबंगता से गूंज रही हे।प्रदेश के समस्त कर्मचारी संगठनो को आंदोलन करना राज्य अध्यापक संघ व् भाई पाटीदार जी ने एवं अध्यापकों ने सिखाया हे।
 
      आज जो मुकाम राज्य अध्यापक संघ ने हासिल किया है उसे दूसरा संगठन नहीं कर सकता कई मान्यता व् गैर मान्यता प्राप्त संगठन भी राज्य अध्यापक संघ का उदहारण देने में गर्व महसूस  करते हे।और कहते हे की आंदोलन करना सीखो तो रास से।
मुझे याद हे की 1995 से 2000 तक के सारे कर्मचारी संगठन निष्क्रिय थे लेकिन भोपाल  में जब भाई पाटीदार जी के नेतृत्व में राज्य शिक्षा कर्मी संघ का गठन किया गया और संघर्ष को निरंतर जारी रखा उसका ही रिजल्ट हे की 500 रूपए में काम करने वाला शिक्षा कर्मी आज सम्मान जनक वेतन ही नहीं वल्कि सम्मान जनक पदनाम के साथ आपने दायित्व को निभा रहा हे।
      साथियों 20 वर्षो का संघर्ष मायने रखता हे आज 1995 का शिक्षाकर्मी अपनी सेवा के अंतिम पड़ाव पैर हे किन्तु हमने संघर्ष के दम पर नई पीढ़ी का एक नया रास्ता खोल दिया हे प्रदेश के संविदा शिक्षक, और गुरुजियों को भी अध्यापक का दर्जा दिलाकर समाज में उत्कृष्ट कार्य किया हे। आज हमारे संघर्ष के रिजल्ट के कारन हजारों साथी हमारे सुख दुख में साथ खड़े हैं हमने एक संगठन ही नहीं एक परिवार का निर्माण किया हे जो ह्रदय के साथ एक दूसरे के साथ जुड़ा हुआ हे।
       आने वाला समय राज्य अघ्यापक संघ का हे शिक्षा विभाग में संविलियन सहित नियमित शिक्षको के समान समस्त सुभिधाएँ हमें मिलेंगी। में किसी संगठनो की बात नहीं करता में तो सिर्फ अपने काम पैर विश्वास कर आगे बढ़ता हूँ।
       मुझे रास ने यह भी सिखाया हे की सकारात्मक सोच के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर मेहनत करो तो सफलता निश्चित हे।
में आपने को रास का सदस्य मानकर कार्य करता हु की में भी इसका एक हिस्सा हूँ।(यह लेखक की निजी राय हैं)

                            

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