Friday, June 10, 2016

पाटीदार की तरह सरकार को ललकारने के लिए तैयार शास्त्री


वासुदेव शर्मा - मध्यप्रदेश से कर्मी कल्चर खत्म करने का दावा करने वाले शिवराज सिंह को इसी कर्मी कल्चर पर कड़ी चुनौती मिलने वाली है। ठीक वैसी ही जैसी उमा भारती एवं बाबूलाल गौर को शिक्षाकर्मियों ने दी थी। बीते रोज अतिथि शिक्षक संघ के जुझारू नेता जगदीश शास्त्री अचानक हमारे कार्यालय पहुंचे। छूटते ही शास्त्री बोले कि अब तो सरकार से दो-दो हाथ करने ही होंगे, इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। अतिथि शिक्षकों की माली हालत का जिक्र करते हुए शास्त्री बोले शिक्षाकर्मियों की तरह हर साल रखे जाने वाले अतिथि शिक्षक शिवराज सिंह से सवाल करने वाले हैं कि कर्मी की जगह अतिथि बनाकर किया जाने वाला अन्याय अतिथि देवो भव: की भारतीय परंपरा की फजीहत है, जो किसी भी कीमत पर नहीं होने दी जाएगी। कर्मी होते हुए भूखों मरते  तब मनको समझाया जा सकता था, लेकिन मेहमान बनकर भूखों मरने की स्थिति में मेहमानी कराने वाले से विद्रोह करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। बार-बार सरकार से धोखा खाने के बाद अतिथि शिक्षक अब बदला लेने की तैयारी कर रहे हैं, जिसके तहत खुद शास्त्री दर्जन भर जिलों में बैठकें कर चुके हैं, बैठकों का यह सिलसिला 23 जून तक चलेगा और 24 जून से भोपाल में डेरा डालने वाले हैं। एक घंटे तक हुई चर्चा के दौरान शास्त्री ने कहा कि इस बार हम उस नीति को ही बदलने की लड़ाई विकसित करने  की दिशा में आगे बढ़ेंगे जिसके तहत अस्थाई और अनिश्चितताभरी नौकरियां दी जा रही हैं। इस बार शास्त्री का नारा है: अस्थाई को स्थाई करो और  स्थाई नौकरियां निकालो। इस नारे के महत्व को समझाते हुए शास्त्री बोले प्रदेश में 10 लाख से अधिक खाली पद विभिन्न विभागों में खाली पड़े हैं, जिन्हें सरकार नहीं भर रही हैं अब अतिथि शिक्षक उन खाली पदों को भरवाने के लिए भी सरकार पर दबाव बनाएंगे, जिससे हमारे घरों में पल रहे बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके। जगदीश शास्त्री से घंटेभर की बातचीत के बाद मुरलीधर पाटीदार की याद आई, उनके शिक्षाकर्मियों के संघर्षों की भी चर्चा हुई। जगदीश शास्त्री अन्याय से मुक्ति वैकल्पिक योजना लेकर निकले हैं, तब यही कहा जा सकता है कि एक बार फिर शिवराज सिंह को कड़ी चुनौती मिलने वाली है।
लेखक की रिपोर्टिंग है आप एक पत्रकार हैं ।

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Friday, June 10, 2016

पाटीदार की तरह सरकार को ललकारने के लिए तैयार शास्त्री


वासुदेव शर्मा - मध्यप्रदेश से कर्मी कल्चर खत्म करने का दावा करने वाले शिवराज सिंह को इसी कर्मी कल्चर पर कड़ी चुनौती मिलने वाली है। ठीक वैसी ही जैसी उमा भारती एवं बाबूलाल गौर को शिक्षाकर्मियों ने दी थी। बीते रोज अतिथि शिक्षक संघ के जुझारू नेता जगदीश शास्त्री अचानक हमारे कार्यालय पहुंचे। छूटते ही शास्त्री बोले कि अब तो सरकार से दो-दो हाथ करने ही होंगे, इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। अतिथि शिक्षकों की माली हालत का जिक्र करते हुए शास्त्री बोले शिक्षाकर्मियों की तरह हर साल रखे जाने वाले अतिथि शिक्षक शिवराज सिंह से सवाल करने वाले हैं कि कर्मी की जगह अतिथि बनाकर किया जाने वाला अन्याय अतिथि देवो भव: की भारतीय परंपरा की फजीहत है, जो किसी भी कीमत पर नहीं होने दी जाएगी। कर्मी होते हुए भूखों मरते  तब मनको समझाया जा सकता था, लेकिन मेहमान बनकर भूखों मरने की स्थिति में मेहमानी कराने वाले से विद्रोह करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। बार-बार सरकार से धोखा खाने के बाद अतिथि शिक्षक अब बदला लेने की तैयारी कर रहे हैं, जिसके तहत खुद शास्त्री दर्जन भर जिलों में बैठकें कर चुके हैं, बैठकों का यह सिलसिला 23 जून तक चलेगा और 24 जून से भोपाल में डेरा डालने वाले हैं। एक घंटे तक हुई चर्चा के दौरान शास्त्री ने कहा कि इस बार हम उस नीति को ही बदलने की लड़ाई विकसित करने  की दिशा में आगे बढ़ेंगे जिसके तहत अस्थाई और अनिश्चितताभरी नौकरियां दी जा रही हैं। इस बार शास्त्री का नारा है: अस्थाई को स्थाई करो और  स्थाई नौकरियां निकालो। इस नारे के महत्व को समझाते हुए शास्त्री बोले प्रदेश में 10 लाख से अधिक खाली पद विभिन्न विभागों में खाली पड़े हैं, जिन्हें सरकार नहीं भर रही हैं अब अतिथि शिक्षक उन खाली पदों को भरवाने के लिए भी सरकार पर दबाव बनाएंगे, जिससे हमारे घरों में पल रहे बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके। जगदीश शास्त्री से घंटेभर की बातचीत के बाद मुरलीधर पाटीदार की याद आई, उनके शिक्षाकर्मियों के संघर्षों की भी चर्चा हुई। जगदीश शास्त्री अन्याय से मुक्ति वैकल्पिक योजना लेकर निकले हैं, तब यही कहा जा सकता है कि एक बार फिर शिवराज सिंह को कड़ी चुनौती मिलने वाली है।
लेखक की रिपोर्टिंग है आप एक पत्रकार हैं ।

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