Monday, May 9, 2016

समान वेतन मान के आदेश में होने वाली विसंगतियां मेरी नजर में ,कुछ आदेशों का विशलेषण भी :-सुरेश यादव रतलाम

          साथियों पुरे प्रदेश के अध्यापक साथियो में वेतन निर्धारण पत्रक जारी होने में विलम्ब को लेकर बड़ी  उहापोह  की स्थिति बनी हुई है।  सभी के मन में आशंकाओ कुशंकाओ के बादल उमड़ रहे है । आशंकाओं को बढ़ावा देने की एक वजह है केबिनेट में प्रस्तुत  नोटशीट  का लिक होना। उसे अभी फिर कुछ साथियो ने वायरल कर दिया है।  लेकिन यदि हम पिछले कुछ आदेशो का अध्ययन करें तो हमारी कई आशंकाओ का समाधान हो पायेगा।
          सर्वप्रथम हम 4 सितंबर 2013 में जारी अंतरिम राहत के आदेश की बात करते है, हम सभी का मानना  है की अंतरिम राहत के आदेश में ही  विसंगति थी ,सही भी है लेकिन विसंगति सिर्फ सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक को कम अंतरिम राहत प्रदान करने की थी  , और इसमें सुधार के लिए सभी साथी प्रयासरत भी थे  कोई शासन को पत्र लिख रहा था कोई न्यायालय के माध्यम से प्रयासरत था ।
          लेकिन इस आदेश की कुछ विशषताओं पर आप का ध्यान आकृष्ट  करना चाहूंगा । इस आदेश के बिंदु क्रमांक ( ब ) i और ii में  सपष्ट लिखा था की सेवा  की गणना 1 अप्रैल 2007 की स्थिति से 1 अगस्त 2013 की स्थिति में की जायेगी , इसमें 2007 से 2013 तक की अवधि को 8 वर्ष माना गया था अर्थात 2007 की स्थिति में 2 वर्ष की सेवा मानी गयी थी  और नविन वेतन मान  1 अगस्त 2013 से सेवा पुस्तिका  में दर्ज  किया जाता । 

 

   यही नहीं उसी आदेश के बिंदु क्रमांक (द)  i और ii  में वेतन मान और वेतन निर्धारण का फार्मूला भी लिखा गया था ,जिसमे साफ था  की  अंतरिम राहत की राशि को पहले ग्रेड पे में और बाद में मूल वेतन में सेवा की गणना कर के समायोजित  कर व्यवस्थित  कि जाएगी ।  साथियों 2013 के फार्मूला के अनुसार 2017 में वरिष्ठ अध्यापक को कुल 5400 से 7000 अंतरिम राहत मिलती और समायोजन पर  3800 से 5400 रूपये मूल वेतन में जुड़ते। अध्यापक को 8200 से 10400 अंतरिम राहत मिलती , समायोजन पर 4300 से 5700   रूपये मूल वेतन में जुड़ते। इसी प्रकार सहायक अध्यापक को 2800 से 4000  अंतरिम राहत मिलती  समायोजन पर  3700 से 5300  रूपये मूल वेतन में जुड़ते । 2017 मे अंतरिम राहत कम ज्यादा होती क्योकि आदेश में ही व्यवस्थित करने का लिखा गया था। 



      मेरी नजर में विसंगतियाँ निम्नानुसार है 

 ( 1 )  बन्धुओं  सितंबर 2013 से सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक को  कम अंतरिम राहत मिल रही थी इसमें सुधार के लिए सभी प्रयासरत भी थे इसी क्रम में  याचिका क्रमांक WP 2999/15 ,सुरेन्द्र कुमार पटेल विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य के पालन प्रतिवेदन के बिंदु क्रमांक 6.2 एवं 7 में लिखे गए जवाब के कारण यह स्थिति साफ हो गयी है की 1 सितंबर 2013 से 31 दिसंबर 15 तक सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक को अंतरिम राहत कम मिल रही थी ,वह अब नहीं मिलेगी क्रमश 48 हजार और 24 हजार रूपये जो राज्य शासन हमे दे सकता था  वह अब नहीं मिलेगा ।यह राशि प्रदान  की जाए। 




 (2)     इसी प्रकार 25 जनवरी 2016 को जारी आदेश और केबिनेट में प्रस्तुत संक्षेपिका का अध्ययन करने से सपष्ट होता है ,की नविन  वेतन निर्धारण सेवा पुस्तिका में 1 जनवरी 2016 से किया जाएगा , साथियों  कर्मचारीजगत में आज तक का इतिहास रहा है की जब भी अंतरिम राहत मिलती है ,नविन वेतनमान उसी तारीख से निर्धारित  जाता है ।परन्तु पहली बार सरकार अंतरिम राहत 1 सितंबर 13 में देने के बाद वेतन निर्धारण 1 जनवरी 2016 से  कर रही है।  सेवा पुस्तिका में वेतन निर्धारण 2013 से किया जाए।  


 (3)    सहायक अध्यापक का न्यूनतम वेतन 5200+2400  से और वरिष्ठ अध्यापक का न्यूनतम 9300+3600 होगा, 7440 और 10230 नहीं  होगा।  सरकार  हमारे साथ छल करने जा रही है ,क्योकि 20 अगस्त 2009 के आदेश से  यह सपष्ट  होता है की 2400 ग्रेड पे के साथ न्यूनतम वेतन 7440  और 3600 ग्रेड पे के साथ मूल वेतन 10230 ही गिना जाता है ,इसी आदेश के बिन्दु  क्रमांक 02 एवं 03  में सपष्ट है की यह आदेश 1 जनवरी 2006 और उसके पश्चात नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए लागू किया गया है।गणना  7440 और 10230 से की जाए 


 (4)      हम सभी 5200+2400 और 9300+3600 से गणना के  बारे में फिक्रमंद है और तब भी क्या हानि होने वाली है  इसे समझें ,लिक नोटशीट में लिखा है की क्रमोन्नति और पदोन्नति में  वेतन निर्धारण मूल भूत नियम अनुसार किया जायेगा। और इस प्रकार क्रमोन्नति प्राप्त सहायक अध्यापक 1998,1999,2001,2002 और 2003 को  सही गणना और विसगतिपूर्ण गणना पर क्रमश : 450 ,470 ,410 ,790 ,1160 की हानि , मूल वेतन में होगी। जबकि क्रमोन्नति नहीं मिलने पर 2240 की हानि  मूल वेतन में होना तय है। इसी प्रकार वरिष्ठ अध्यापक 1998,1999,2001,2002 और 2003 को  सही गणना और विसगतिपूर्ण गणना पर क्रमश : 1320 ,1320 ,1240 ,1250,1240  की हानि  मूल वेतन में होगी जबकि क्रमोन्नति नहीं मिलने पर 930  की हानि  मूल वेतन में होना तय है।  (इसके लिए तुलात्मक चार्ट बाद में भेजा जाएगा) ।  
      (5 )    लिक नोटशीट से सपष्ट है की  वेतन निर्धारण पत्रक सम्परीक्षा निधि कार्यालय जाएंगे  तो सभी का वेतन समान हो जाएगा । अभी कई साथियो के वेतन में भारी असमानता है की जो वेतन निर्धारण के बाद सामान हो जायेंगे और वसूली की जाएगी असमान वेतन के कुछ प्रकरण या कारण  मेरे समक्ष आये है वे इस प्रकार हैं :-

(A) परिवीक्षा अवधि की वेतन वृद्धि :- शासन उच्च न्यायालय के इस  निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय तक गया,अंत में न्यायालय  ने 2007 में वेतन वृद्धि में कटौती का कहा लेकिन 1998 से 2007 तक वसूली  नहीं करने के आदेश दिए , 2007 से समान स्थिति  करने के आदेश दिए परन्तु कुछ साथि 2007 के पश्चात भी इस वेतन में इसका लाभ ले रहे है।

( B ) स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड :-  स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड करने पर  कई साथी वेतन वृद्धि प्राप्त कर रहे है जबकि शासन  ने इस मामले पर रोक लगा  दी है। 

( C ) 2001 से वेतनमान की गणना :- 2001 से वेतनमान की गणना इस मामले में भी कई जगह पर अध्यापक साथियो ने लाभ ले लिया है परन्तु शासन ने इस पर भी रोक लगा दी है ।

( D ) गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतन मान :- गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतनमान इस मामले में भी न्यायलय ने अभ्यवें का निराकरण करने का आदेश   दिया गया  था परन्तु कई साथी इसका लाभ ले  चुके है सरकार द्वारा अपील की जा चुकी है और भुगतान रोक दि गयी है ।

( E ) संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि :-  संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि देने को लेकर एक फर्जी आदेश भी जारी हुआ था जीस पर प्रकरण  दर्ज है ,कुछ साथी न्यायलय भी गए सरकार ने देने से इंकार किया है । 
( F ) संविदा शिक्षक को देर से प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष बाद से अध्यापक  संवर्ग का वेतन :- कई जिलो में  2006 व 2007  और उसके पश्चात  संविदा शाळा शिक्षकों को निर्धारित समय पश्चात प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष की सेवा उपरांत अध्यापक संवर्ग में सम्मिलित किया गया है ,जबकी यह आदेश सिर्फ वर्ष 2001 और 2003 में नियुक्त संविदा शिक्षकों के ही था की वे जुलाई 2011 तक प्रशिक्षण प्राप्त करते है तब भी उन्हें 1 अप्रैल 2007 से अध्यापक संवर्ग में माना  जाएगा और वेतन  प्रदान किया जाएगा । इस प्राकर की स्थिति उत्पन्न होने पर वसूली पर रोक लगाई जाए। 

           गणना पत्रक को ले  आप सभी की चिंताओं के बारे में , मेने अपनी  राय रखी  है , गणना पत्रक जारी करना न करना सरकार की जिम्मेदारी है । अध्यापक संगठनो की जिम्मेदारी उसके बाद प्रारंभ होगी। आदेश का विश्लेषण करे,यदि कमी हो तो सुधार कराये ।आप को जानकारी होगी  की 25 फरवरी 2016 को, 1 जनवरी 2016 से वेतनमान प्रदान करने का आदेश जारी कर दिया गया है ।आदेश में स्पष्ठ है की जनवरी से मार्च तक का एरियर वित्त वर्ष 2016-17 में कभी भी और अप्रैल  से नगद भुगतान किया जाएगा । इस से स्पष्ठ होता  है की अप्रैल के बाद जब भी वेतन मिलेगा  अंतर, नगद लाभ के रूप में  वेतन के साथ मिलेगा ।  

    विलम्ब की समस्त जिम्मेदारी सरकार की है।  हमारे साथी अन्य व्यक्ति या संगठनों को जिम्मेदार ठहरा रहे है क्या यह उचित है ? साथियो अब  गणना  पत्रक  आ भी  जाए तब भी हमें नया वेतन मिलने में निश्चित रूप से लम्बा समय लगने वाला है क्योंकि  केबिनेट की जो संक्षेपिका लिक हुई थी उसमे  उल्लेख था की अब वेतन निर्धारण पत्रक सम्परीक्षा निधि कार्यालय जाएंगे ।  इस पूरी प्रक्रिया में लम्बा समय भी लगना तय है क्योकि यह कार्यालय संभागीय मुख्यालय पर होता है ,और एक संभाग में कितने DDO है आप कल्पना कीजिये। साथियो इस लिए साथियो अपनी ऊर्जा को बचाएँ रखें असली लड़ाई तो गणना पत्रक जारी बाद  प्रारम्भ होगी ।
      

लेटलतीफी  कल्पना  से  भी परे   नजर  आ रही  है , आप भी इस अफसरशाही की गड़बड़ियों पर विचार कीजिये ,शिक्षा मंत्री से अफसर विधनसभा में गलत जानकारी दिलवाते है ,मंत्रियो के एक तिहाई पद सरकार के आधे कार्यकाल के बाद भी रिक्त है , गौरीशंकर शेजवार जैसे वरिष्ठ  मंत्री को मिडिया में कहना पड़ता है की अफसर मेरी नहीं सुनते , ऐसा कहने वाले विधायको और सांसदों की तो गिनती ही नहीं।  इस प्रकार की लेटलतीफी देख कर यह सपष्ट  होता है की माननीय  शिवराज सिंह चौहान शासन और प्रशासन पर  अपना नियंत्रण खो बैठें है।


 
सुरेश यादव ,कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ  जिला रतलाम ( यह लेखक  के निजी विचार है )


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Monday, May 9, 2016

समान वेतन मान के आदेश में होने वाली विसंगतियां मेरी नजर में ,कुछ आदेशों का विशलेषण भी :-सुरेश यादव रतलाम

          साथियों पुरे प्रदेश के अध्यापक साथियो में वेतन निर्धारण पत्रक जारी होने में विलम्ब को लेकर बड़ी  उहापोह  की स्थिति बनी हुई है।  सभी के मन में आशंकाओ कुशंकाओ के बादल उमड़ रहे है । आशंकाओं को बढ़ावा देने की एक वजह है केबिनेट में प्रस्तुत  नोटशीट  का लिक होना। उसे अभी फिर कुछ साथियो ने वायरल कर दिया है।  लेकिन यदि हम पिछले कुछ आदेशो का अध्ययन करें तो हमारी कई आशंकाओ का समाधान हो पायेगा।
          सर्वप्रथम हम 4 सितंबर 2013 में जारी अंतरिम राहत के आदेश की बात करते है, हम सभी का मानना  है की अंतरिम राहत के आदेश में ही  विसंगति थी ,सही भी है लेकिन विसंगति सिर्फ सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक को कम अंतरिम राहत प्रदान करने की थी  , और इसमें सुधार के लिए सभी साथी प्रयासरत भी थे  कोई शासन को पत्र लिख रहा था कोई न्यायालय के माध्यम से प्रयासरत था ।
          लेकिन इस आदेश की कुछ विशषताओं पर आप का ध्यान आकृष्ट  करना चाहूंगा । इस आदेश के बिंदु क्रमांक ( ब ) i और ii में  सपष्ट लिखा था की सेवा  की गणना 1 अप्रैल 2007 की स्थिति से 1 अगस्त 2013 की स्थिति में की जायेगी , इसमें 2007 से 2013 तक की अवधि को 8 वर्ष माना गया था अर्थात 2007 की स्थिति में 2 वर्ष की सेवा मानी गयी थी  और नविन वेतन मान  1 अगस्त 2013 से सेवा पुस्तिका  में दर्ज  किया जाता । 

 

   यही नहीं उसी आदेश के बिंदु क्रमांक (द)  i और ii  में वेतन मान और वेतन निर्धारण का फार्मूला भी लिखा गया था ,जिसमे साफ था  की  अंतरिम राहत की राशि को पहले ग्रेड पे में और बाद में मूल वेतन में सेवा की गणना कर के समायोजित  कर व्यवस्थित  कि जाएगी ।  साथियों 2013 के फार्मूला के अनुसार 2017 में वरिष्ठ अध्यापक को कुल 5400 से 7000 अंतरिम राहत मिलती और समायोजन पर  3800 से 5400 रूपये मूल वेतन में जुड़ते। अध्यापक को 8200 से 10400 अंतरिम राहत मिलती , समायोजन पर 4300 से 5700   रूपये मूल वेतन में जुड़ते। इसी प्रकार सहायक अध्यापक को 2800 से 4000  अंतरिम राहत मिलती  समायोजन पर  3700 से 5300  रूपये मूल वेतन में जुड़ते । 2017 मे अंतरिम राहत कम ज्यादा होती क्योकि आदेश में ही व्यवस्थित करने का लिखा गया था। 



      मेरी नजर में विसंगतियाँ निम्नानुसार है 

 ( 1 )  बन्धुओं  सितंबर 2013 से सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक को  कम अंतरिम राहत मिल रही थी इसमें सुधार के लिए सभी प्रयासरत भी थे इसी क्रम में  याचिका क्रमांक WP 2999/15 ,सुरेन्द्र कुमार पटेल विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य के पालन प्रतिवेदन के बिंदु क्रमांक 6.2 एवं 7 में लिखे गए जवाब के कारण यह स्थिति साफ हो गयी है की 1 सितंबर 2013 से 31 दिसंबर 15 तक सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक को अंतरिम राहत कम मिल रही थी ,वह अब नहीं मिलेगी क्रमश 48 हजार और 24 हजार रूपये जो राज्य शासन हमे दे सकता था  वह अब नहीं मिलेगा ।यह राशि प्रदान  की जाए। 




 (2)     इसी प्रकार 25 जनवरी 2016 को जारी आदेश और केबिनेट में प्रस्तुत संक्षेपिका का अध्ययन करने से सपष्ट होता है ,की नविन  वेतन निर्धारण सेवा पुस्तिका में 1 जनवरी 2016 से किया जाएगा , साथियों  कर्मचारीजगत में आज तक का इतिहास रहा है की जब भी अंतरिम राहत मिलती है ,नविन वेतनमान उसी तारीख से निर्धारित  जाता है ।परन्तु पहली बार सरकार अंतरिम राहत 1 सितंबर 13 में देने के बाद वेतन निर्धारण 1 जनवरी 2016 से  कर रही है।  सेवा पुस्तिका में वेतन निर्धारण 2013 से किया जाए।  


 (3)    सहायक अध्यापक का न्यूनतम वेतन 5200+2400  से और वरिष्ठ अध्यापक का न्यूनतम 9300+3600 होगा, 7440 और 10230 नहीं  होगा।  सरकार  हमारे साथ छल करने जा रही है ,क्योकि 20 अगस्त 2009 के आदेश से  यह सपष्ट  होता है की 2400 ग्रेड पे के साथ न्यूनतम वेतन 7440  और 3600 ग्रेड पे के साथ मूल वेतन 10230 ही गिना जाता है ,इसी आदेश के बिन्दु  क्रमांक 02 एवं 03  में सपष्ट है की यह आदेश 1 जनवरी 2006 और उसके पश्चात नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए लागू किया गया है।गणना  7440 और 10230 से की जाए 


 (4)      हम सभी 5200+2400 और 9300+3600 से गणना के  बारे में फिक्रमंद है और तब भी क्या हानि होने वाली है  इसे समझें ,लिक नोटशीट में लिखा है की क्रमोन्नति और पदोन्नति में  वेतन निर्धारण मूल भूत नियम अनुसार किया जायेगा। और इस प्रकार क्रमोन्नति प्राप्त सहायक अध्यापक 1998,1999,2001,2002 और 2003 को  सही गणना और विसगतिपूर्ण गणना पर क्रमश : 450 ,470 ,410 ,790 ,1160 की हानि , मूल वेतन में होगी। जबकि क्रमोन्नति नहीं मिलने पर 2240 की हानि  मूल वेतन में होना तय है। इसी प्रकार वरिष्ठ अध्यापक 1998,1999,2001,2002 और 2003 को  सही गणना और विसगतिपूर्ण गणना पर क्रमश : 1320 ,1320 ,1240 ,1250,1240  की हानि  मूल वेतन में होगी जबकि क्रमोन्नति नहीं मिलने पर 930  की हानि  मूल वेतन में होना तय है।  (इसके लिए तुलात्मक चार्ट बाद में भेजा जाएगा) ।  
      (5 )    लिक नोटशीट से सपष्ट है की  वेतन निर्धारण पत्रक सम्परीक्षा निधि कार्यालय जाएंगे  तो सभी का वेतन समान हो जाएगा । अभी कई साथियो के वेतन में भारी असमानता है की जो वेतन निर्धारण के बाद सामान हो जायेंगे और वसूली की जाएगी असमान वेतन के कुछ प्रकरण या कारण  मेरे समक्ष आये है वे इस प्रकार हैं :-

(A) परिवीक्षा अवधि की वेतन वृद्धि :- शासन उच्च न्यायालय के इस  निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय तक गया,अंत में न्यायालय  ने 2007 में वेतन वृद्धि में कटौती का कहा लेकिन 1998 से 2007 तक वसूली  नहीं करने के आदेश दिए , 2007 से समान स्थिति  करने के आदेश दिए परन्तु कुछ साथि 2007 के पश्चात भी इस वेतन में इसका लाभ ले रहे है।

( B ) स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड :-  स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड करने पर  कई साथी वेतन वृद्धि प्राप्त कर रहे है जबकि शासन  ने इस मामले पर रोक लगा  दी है। 

( C ) 2001 से वेतनमान की गणना :- 2001 से वेतनमान की गणना इस मामले में भी कई जगह पर अध्यापक साथियो ने लाभ ले लिया है परन्तु शासन ने इस पर भी रोक लगा दी है ।

( D ) गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतन मान :- गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतनमान इस मामले में भी न्यायलय ने अभ्यवें का निराकरण करने का आदेश   दिया गया  था परन्तु कई साथी इसका लाभ ले  चुके है सरकार द्वारा अपील की जा चुकी है और भुगतान रोक दि गयी है ।

( E ) संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि :-  संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि देने को लेकर एक फर्जी आदेश भी जारी हुआ था जीस पर प्रकरण  दर्ज है ,कुछ साथी न्यायलय भी गए सरकार ने देने से इंकार किया है । 
( F ) संविदा शिक्षक को देर से प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष बाद से अध्यापक  संवर्ग का वेतन :- कई जिलो में  2006 व 2007  और उसके पश्चात  संविदा शाळा शिक्षकों को निर्धारित समय पश्चात प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष की सेवा उपरांत अध्यापक संवर्ग में सम्मिलित किया गया है ,जबकी यह आदेश सिर्फ वर्ष 2001 और 2003 में नियुक्त संविदा शिक्षकों के ही था की वे जुलाई 2011 तक प्रशिक्षण प्राप्त करते है तब भी उन्हें 1 अप्रैल 2007 से अध्यापक संवर्ग में माना  जाएगा और वेतन  प्रदान किया जाएगा । इस प्राकर की स्थिति उत्पन्न होने पर वसूली पर रोक लगाई जाए। 

           गणना पत्रक को ले  आप सभी की चिंताओं के बारे में , मेने अपनी  राय रखी  है , गणना पत्रक जारी करना न करना सरकार की जिम्मेदारी है । अध्यापक संगठनो की जिम्मेदारी उसके बाद प्रारंभ होगी। आदेश का विश्लेषण करे,यदि कमी हो तो सुधार कराये ।आप को जानकारी होगी  की 25 फरवरी 2016 को, 1 जनवरी 2016 से वेतनमान प्रदान करने का आदेश जारी कर दिया गया है ।आदेश में स्पष्ठ है की जनवरी से मार्च तक का एरियर वित्त वर्ष 2016-17 में कभी भी और अप्रैल  से नगद भुगतान किया जाएगा । इस से स्पष्ठ होता  है की अप्रैल के बाद जब भी वेतन मिलेगा  अंतर, नगद लाभ के रूप में  वेतन के साथ मिलेगा ।  

    विलम्ब की समस्त जिम्मेदारी सरकार की है।  हमारे साथी अन्य व्यक्ति या संगठनों को जिम्मेदार ठहरा रहे है क्या यह उचित है ? साथियो अब  गणना  पत्रक  आ भी  जाए तब भी हमें नया वेतन मिलने में निश्चित रूप से लम्बा समय लगने वाला है क्योंकि  केबिनेट की जो संक्षेपिका लिक हुई थी उसमे  उल्लेख था की अब वेतन निर्धारण पत्रक सम्परीक्षा निधि कार्यालय जाएंगे ।  इस पूरी प्रक्रिया में लम्बा समय भी लगना तय है क्योकि यह कार्यालय संभागीय मुख्यालय पर होता है ,और एक संभाग में कितने DDO है आप कल्पना कीजिये। साथियो इस लिए साथियो अपनी ऊर्जा को बचाएँ रखें असली लड़ाई तो गणना पत्रक जारी बाद  प्रारम्भ होगी ।
      

लेटलतीफी  कल्पना  से  भी परे   नजर  आ रही  है , आप भी इस अफसरशाही की गड़बड़ियों पर विचार कीजिये ,शिक्षा मंत्री से अफसर विधनसभा में गलत जानकारी दिलवाते है ,मंत्रियो के एक तिहाई पद सरकार के आधे कार्यकाल के बाद भी रिक्त है , गौरीशंकर शेजवार जैसे वरिष्ठ  मंत्री को मिडिया में कहना पड़ता है की अफसर मेरी नहीं सुनते , ऐसा कहने वाले विधायको और सांसदों की तो गिनती ही नहीं।  इस प्रकार की लेटलतीफी देख कर यह सपष्ट  होता है की माननीय  शिवराज सिंह चौहान शासन और प्रशासन पर  अपना नियंत्रण खो बैठें है।


 
सुरेश यादव ,कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ  जिला रतलाम ( यह लेखक  के निजी विचार है )


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