Thursday, May 12, 2016

विगत दिवस मदर्स डे मनाया गया ,बेटी - बहु के बारे में भी सोचें :-मकसूद अहमद अंसारी


           सोचने की बात है
विगत दिवस मदर्स डे मनाया गया ।
सभी ने माँ का  बहुत~ बहुत बखान किया ।
          सभी धन्यवाद के पात्र  है ।सभी को कोटि~ कोटि  धन्यवाद ।
लेकिन हमारे समाज में माँ बनने से पहले उसी महिला की दशा पर कभी विचार किया जाता है । में बात कर रहा हु शादी की पूरी प्रक्रिया की ।
विवाह दिवस से पूर्व तथा विवाह दिवस पर कन्या के परिजनो को किस~ किस प्रकार के नखरों को झेलना पड़ता है । उनकी दशा देख कर लगता है कि ये इन्होंने क्या कसूर कर दिया कि वर पक्ष के सारे नखरे वही सहे ।
          मंगनी से लेकर शादी तक सारे रस्मो रिवाज में उसी की आहुति देखने की मिलती । बारात में वर तथा उनके घर के लोग कोनसा कपडा पहने ,यह खर्च भी अधिकतर कन्या पक्ष को ही उठाना पड़ता है । आखिर उस पिता की गलती क्या है कि एक बच्ची को पाल पोस् कर ,पढ़ा लिखा कर बड़ा करता है ।और अब शादी के बाद  उसे माँ बनना है तो उस शादी का अधिकतर खर्च वह ही बर्दाश्त  करे।यह कहाँ का न्याय है ।में सारे जहां से तो नहीं सिर्फ मदर्स डे पर मदर्स डे की पोस्ट को लाइक शेयर व् पोस्ट करने वालों से आव्हान करना चाहूँगा कि यदि वे कुंवारे है तो कन्या पक्ष को आसानी दें ।और अगर  शादी शुदा है तो कन्या पक्ष को अपने पुत्रो की शादी में आसानी दें । वेसे में बता दूँ कि मेरी बिरादर  (अंसारी बरादरी) में कन्या पक्ष से जोड़ा जामा लेने का रिवाज नहीं है  ।
   न ही दहेज़ मांगने की किसी में हिम्मत ।हाँ बिना दहेज़ की शादियों का चलन बढ़ रहा है ।
  आप सभी जागरूक लोगों से अनुरोध है कि शादियों के खर्चे घटाने की  मुहिम चलाएं ।
 और मदर्स डे का सही में हक़ अदा करें ।
मकसूद अहमद अंसारी
जबलपुर


No comments:

Post a Comment

Comments system

Thursday, May 12, 2016

विगत दिवस मदर्स डे मनाया गया ,बेटी - बहु के बारे में भी सोचें :-मकसूद अहमद अंसारी


           सोचने की बात है
विगत दिवस मदर्स डे मनाया गया ।
सभी ने माँ का  बहुत~ बहुत बखान किया ।
          सभी धन्यवाद के पात्र  है ।सभी को कोटि~ कोटि  धन्यवाद ।
लेकिन हमारे समाज में माँ बनने से पहले उसी महिला की दशा पर कभी विचार किया जाता है । में बात कर रहा हु शादी की पूरी प्रक्रिया की ।
विवाह दिवस से पूर्व तथा विवाह दिवस पर कन्या के परिजनो को किस~ किस प्रकार के नखरों को झेलना पड़ता है । उनकी दशा देख कर लगता है कि ये इन्होंने क्या कसूर कर दिया कि वर पक्ष के सारे नखरे वही सहे ।
          मंगनी से लेकर शादी तक सारे रस्मो रिवाज में उसी की आहुति देखने की मिलती । बारात में वर तथा उनके घर के लोग कोनसा कपडा पहने ,यह खर्च भी अधिकतर कन्या पक्ष को ही उठाना पड़ता है । आखिर उस पिता की गलती क्या है कि एक बच्ची को पाल पोस् कर ,पढ़ा लिखा कर बड़ा करता है ।और अब शादी के बाद  उसे माँ बनना है तो उस शादी का अधिकतर खर्च वह ही बर्दाश्त  करे।यह कहाँ का न्याय है ।में सारे जहां से तो नहीं सिर्फ मदर्स डे पर मदर्स डे की पोस्ट को लाइक शेयर व् पोस्ट करने वालों से आव्हान करना चाहूँगा कि यदि वे कुंवारे है तो कन्या पक्ष को आसानी दें ।और अगर  शादी शुदा है तो कन्या पक्ष को अपने पुत्रो की शादी में आसानी दें । वेसे में बता दूँ कि मेरी बिरादर  (अंसारी बरादरी) में कन्या पक्ष से जोड़ा जामा लेने का रिवाज नहीं है  ।
   न ही दहेज़ मांगने की किसी में हिम्मत ।हाँ बिना दहेज़ की शादियों का चलन बढ़ रहा है ।
  आप सभी जागरूक लोगों से अनुरोध है कि शादियों के खर्चे घटाने की  मुहिम चलाएं ।
 और मदर्स डे का सही में हक़ अदा करें ।
मकसूद अहमद अंसारी
जबलपुर


No comments:

Post a Comment