Wednesday, April 26, 2017

संसाधनों के अभावो के बावजूद भी वर्षो से अव्वल हे सरकारी स्कूल -अरविंद रावल


   मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अभी हाल ही में यह कहा हे कि यदि निजी स्कूल अच्छी और बेहतर सुविधा देते हे तो फ़ीस बढ़ाएंगे ! मुख्यमंत्रीजी का यह भी कहना हे कि यदि निजी स्कूलों की फ़ीस पर सरकार का नियंत्रण हुआ तो अच्छे स्कूल प्रदेश से बहार चले जायेगे और यदि निजी स्कूलों की फ़ीस पर सरकार का नियंत्रण हुआ तो गुणवत्ता कमजोर होगी ! माननीय मुख्यमंत्रीजी की इस बात से प्रदेश के निजी स्कूल के संचालक सहमत हो सकते हे किन्तु प्रदेश की जनता सहमत नहीं हो सकती हे ! क्योकि प्रदेश सरकार के पास खुद का सरकारी शिक्षा का एक बहुत बड़ा अमला मौजूद है उसके बाद भी निजी स्कूलों पर सरकार का मेहरबान होना गैर लाजमी लगता हे ! एक और देश में केंद्र व् राज्य सरकारे व् न्यायालय भी निजी स्कूलों की प्रतिवर्ष बेहताशा फ़ीस वृद्धि को लेकर उस पर शिकंजा कसने की बात कर प्रयास रहे हे वही दूसरी और मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया ही खुद निजी स्कूलों की फ़ीस वर्द्धि की वकालत कर रहे हे जो निश्चित ही यह चिंतन का विषय हे !

                                               मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की दशा क्या हे इससे खुद सरकार अच्छे से वाकिफ भी हे ? मध्यप्रदेश में प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी तक करीब सवा लाख स्कूल वर्तमान में संचालित हे ! मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूल आज भी कम संसाधन और सुविधा के अभावो के बावजूद भी निजी स्कूलों से बेहतर ही शिक्षा देकर परिणाम दे रहे हे ! मध्यप्रदेश में सालो से बच्चो के अनुपात में शिक्षकों की कमी चली आ रही हे ! हाई स्कूलों और हायर सेकंडरी स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के नहीं होने के बाद भी प्रति वर्ष बोर्ड परीक्षाओ के परिणाम में प्रदेश के सरकारी स्कूल और उनके बच्चे ही बाज़ी मारते आये हे ! प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्रदेश की गरीब व् मध्यम वर्ग की जनता के बच्चे पढ़ते हे ! प्रदेश सरकार सरकारी शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के नाम पर करोडो रुपयों का बजट प्रतिवर्ष शिक्षा पर खर्च करती हे ! निशुल्क शिक्षा, निशुल्क पाठ्य पुस्तके, निशुल्क गणवेश, मध्यान भोजन, छात्रवृति आदि कई सुविधाएं सरकारी स्कूलों के बच्चो को प्रतिवर्ष सरकार द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने के नाम पर दी जाती हे जबकि इसके इतर  निजी स्कूलों में पड़ने वाले बच्चो के अभिभावकों को हर चीज का दाम उसकी मूल कीमत से दो से तीन गुना तक चुकाना पढ़ते हे !

                                            मध्यप्रदेश की सरकारी स्कूलों में भले निजी स्कूलों की तरह भव्य चकाचोंध वाली बिल्डिंगे नहीं हे! भले ही निजी स्कूलों की तरह पर्याप्त मात्रा में शिक्षक नहीं हे और न ही अन्य संसाधन मौजूद  हे उसके बावजूद भी प्रदेश के सरकारी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में निजी स्कूलों से वर्षो से अव्वल ही रहे हे ! माननीय मुख्यमंत्रीजी आप व् आपकी सरकार द्वारा प्रदेश की सरकारी शिक्षा के बेहतरी के प्रतिवर्ष कई कदम उठाये जाते हे उसके बाद भी प्रदेश की सरकारी शिक्षा के ढांचे में कुछ कमिया रह जाती हे अगर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा  प्रतिवर्ष 25 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों को देना बंद कर दे और शिक्षकों के वर्गभेद समाप्त कर छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की व्यवस्था कर प्रदेश के सभी शिक्षकों को समान कार्य समान वेतन देने की व्यवस्था ईमानदारी से लागु कर दे तो प्रदेश का हर सरकारी स्कूल चाहे वह प्राथमिक हो या हायर सेकंडरी स्कूल वह निजी विद्यालयों की तरह ही मजबूत गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने लगेगे !

                                         माननीय मुख्यमंत्रीजी आप बेहद सवेदनशील और गरीबो का दर्द समझने वाले मुख्यमंत्री के तोर पर देशभर में जाने जाते हे ! आप हम सभी अपनी अपनी माटी के सरकारी स्कूलों में पढ़कर ही आज इस मुकाम पर पहुंचे हे ! सरकारी स्कुल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की रीड की हड्डी होते हे ! मध्यप्रदेश के बारे में अब तो यहा  तक कहा जाने लगा हे कि यहां पीढ़ियों को बर्बाद करने वाले मदिरालय जोरशोर से खोले जाते हे और पीढ़ियो को आबाद करने वाले विद्यालयों को चुपचाप बंद कर दिया जाता हे ! प्रदेश में निजी विद्यालयों को बढ़ावा देने के चलते प्रतिवर्ष करीब एक हजार सरकारी स्कुल छात्रों की कम संख्या  के नाम पर बंद किये जाते हे ! माननीय मुख्यमंत्रीजी प्रदेश में अब तक दस हजार से ज्यादा सरकारी स्कुल बंद किये जा चुके जो बेहद चिंतन का विषय हे ! उम्मीद हे आप व् सरकार इस विषय पर भी गंभीरता पूर्वक चिंतन कर प्रदेश की गरीब मध्यम वर्ग की जनता के बच्चो के सरकारी स्कूलों को बंद होने से बचाएंगे ?

- अरविन्द रावल झाबुआ म.प्र. (लेखक स्वयं अध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं )

Sunday, April 23, 2017

युक्ति युक्तकरण एक अंत की शुरूआत-कृष्णा परमार(रतलाम)

   शिक्षा विभाग को हमारे समाज में हमेशा से एक बहुत बड़े सुरक्षित रोजगार के अवसर के रूप में देखा जाता रहा है , एक प्रतिष्ठित और सुलभ मिल जाने वाले रोजगार के रूप में खासकर महिलाओं की पहली पसंद लेकिन विगत कुछ वर्षों से शासकीय शालाओं में गिरते शिक्षा के स्तर का अब बहुत बड़ा प्रभाव देखने को मिल रहा है | वह समय भी दूर नहीं जब हमें आने वाली पिढ़ी को यह कहना पड़ेगा की कभी सरकारी स्कूल भी हुआ करते थे |
     वर्तमान में जारी हुई मध्य प्रदेश अतिशेष शिक्षकों की संख्या साठ हजार  तक पहुंच गई है जो की शिक्षा विभाग की बदहाल स्थिति को दर्शाता है अभी कुछ दिन पहले सरकार ने घोषणा की थी कि 41 हजार संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी उस समय बेरोजगार युवाओं में यह आस बंधी थी कि चलो कुछ तो राहत मिलेगी लेकिन अब यह असंभव सा प्रतीत हो रहा है क्योंकि जब 60 हजार शिक्षक पहले से ही अतिशेष है,  तो नई नियुक्ति कहां दी जा सकती हैं खैर जैसे तैसे इस वर्ष तो इन अतिशेष शिक्षकों का समायोजन कर दिया जाएगा |
लेकिन वह स्थिति दूर नहीं जब शिक्षा विभाग का हाल भी मध्य प्रदेश परिवहन विभाग , मध्यप्रदेश तिलहन संघ जैसा हो जाएगा कि अतिशेष शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विभागों में भेजा जाएगा जैसे राजस्व, पुलिस , पंचायत कर्मचारी आदि और अधिकतर को समय से पूर्व ही सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी जब धीरे धीरे स्कूल ही बंद होते जा रहे हैं तो नई नियुक्ति की आवश्यकता ही कहां पड़ेगी |
      अभी वर्तमान में बेतूल जिले में एक प्रयोग कॉल किया जा रहा है 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाली समस्त शालाओं को बंद करके एक ही जगह पर उन सभी छात्रों को बस द्वारा लाया जाएगा | ऐसी स्थिति में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि शायद हम इस पीढ़ी के आखरी सरकारी अध्यापक या शिक्षक हैं , क्योंकि जब विभाग ही नहीं रहेगा तो कर्मचारियों का क्या काम है और शिक्षा विभाग पर हो रहा हर एक प्रयोग ताबूत की कील साबित हो रहा है ऐसा ताबूत जिसमें से शायद शिक्षा विभाग का जिंदा निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा प्रतीत होता है | कृष्णा परमार (सैलाना जिला रतलाम) लेखक स्वयं अध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं।

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Wednesday, April 26, 2017

संसाधनों के अभावो के बावजूद भी वर्षो से अव्वल हे सरकारी स्कूल -अरविंद रावल


   मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अभी हाल ही में यह कहा हे कि यदि निजी स्कूल अच्छी और बेहतर सुविधा देते हे तो फ़ीस बढ़ाएंगे ! मुख्यमंत्रीजी का यह भी कहना हे कि यदि निजी स्कूलों की फ़ीस पर सरकार का नियंत्रण हुआ तो अच्छे स्कूल प्रदेश से बहार चले जायेगे और यदि निजी स्कूलों की फ़ीस पर सरकार का नियंत्रण हुआ तो गुणवत्ता कमजोर होगी ! माननीय मुख्यमंत्रीजी की इस बात से प्रदेश के निजी स्कूल के संचालक सहमत हो सकते हे किन्तु प्रदेश की जनता सहमत नहीं हो सकती हे ! क्योकि प्रदेश सरकार के पास खुद का सरकारी शिक्षा का एक बहुत बड़ा अमला मौजूद है उसके बाद भी निजी स्कूलों पर सरकार का मेहरबान होना गैर लाजमी लगता हे ! एक और देश में केंद्र व् राज्य सरकारे व् न्यायालय भी निजी स्कूलों की प्रतिवर्ष बेहताशा फ़ीस वृद्धि को लेकर उस पर शिकंजा कसने की बात कर प्रयास रहे हे वही दूसरी और मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया ही खुद निजी स्कूलों की फ़ीस वर्द्धि की वकालत कर रहे हे जो निश्चित ही यह चिंतन का विषय हे !

                                               मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की दशा क्या हे इससे खुद सरकार अच्छे से वाकिफ भी हे ? मध्यप्रदेश में प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी तक करीब सवा लाख स्कूल वर्तमान में संचालित हे ! मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूल आज भी कम संसाधन और सुविधा के अभावो के बावजूद भी निजी स्कूलों से बेहतर ही शिक्षा देकर परिणाम दे रहे हे ! मध्यप्रदेश में सालो से बच्चो के अनुपात में शिक्षकों की कमी चली आ रही हे ! हाई स्कूलों और हायर सेकंडरी स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के नहीं होने के बाद भी प्रति वर्ष बोर्ड परीक्षाओ के परिणाम में प्रदेश के सरकारी स्कूल और उनके बच्चे ही बाज़ी मारते आये हे ! प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्रदेश की गरीब व् मध्यम वर्ग की जनता के बच्चे पढ़ते हे ! प्रदेश सरकार सरकारी शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के नाम पर करोडो रुपयों का बजट प्रतिवर्ष शिक्षा पर खर्च करती हे ! निशुल्क शिक्षा, निशुल्क पाठ्य पुस्तके, निशुल्क गणवेश, मध्यान भोजन, छात्रवृति आदि कई सुविधाएं सरकारी स्कूलों के बच्चो को प्रतिवर्ष सरकार द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने के नाम पर दी जाती हे जबकि इसके इतर  निजी स्कूलों में पड़ने वाले बच्चो के अभिभावकों को हर चीज का दाम उसकी मूल कीमत से दो से तीन गुना तक चुकाना पढ़ते हे !

                                            मध्यप्रदेश की सरकारी स्कूलों में भले निजी स्कूलों की तरह भव्य चकाचोंध वाली बिल्डिंगे नहीं हे! भले ही निजी स्कूलों की तरह पर्याप्त मात्रा में शिक्षक नहीं हे और न ही अन्य संसाधन मौजूद  हे उसके बावजूद भी प्रदेश के सरकारी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में निजी स्कूलों से वर्षो से अव्वल ही रहे हे ! माननीय मुख्यमंत्रीजी आप व् आपकी सरकार द्वारा प्रदेश की सरकारी शिक्षा के बेहतरी के प्रतिवर्ष कई कदम उठाये जाते हे उसके बाद भी प्रदेश की सरकारी शिक्षा के ढांचे में कुछ कमिया रह जाती हे अगर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा  प्रतिवर्ष 25 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों को देना बंद कर दे और शिक्षकों के वर्गभेद समाप्त कर छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की व्यवस्था कर प्रदेश के सभी शिक्षकों को समान कार्य समान वेतन देने की व्यवस्था ईमानदारी से लागु कर दे तो प्रदेश का हर सरकारी स्कूल चाहे वह प्राथमिक हो या हायर सेकंडरी स्कूल वह निजी विद्यालयों की तरह ही मजबूत गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने लगेगे !

                                         माननीय मुख्यमंत्रीजी आप बेहद सवेदनशील और गरीबो का दर्द समझने वाले मुख्यमंत्री के तोर पर देशभर में जाने जाते हे ! आप हम सभी अपनी अपनी माटी के सरकारी स्कूलों में पढ़कर ही आज इस मुकाम पर पहुंचे हे ! सरकारी स्कुल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की रीड की हड्डी होते हे ! मध्यप्रदेश के बारे में अब तो यहा  तक कहा जाने लगा हे कि यहां पीढ़ियों को बर्बाद करने वाले मदिरालय जोरशोर से खोले जाते हे और पीढ़ियो को आबाद करने वाले विद्यालयों को चुपचाप बंद कर दिया जाता हे ! प्रदेश में निजी विद्यालयों को बढ़ावा देने के चलते प्रतिवर्ष करीब एक हजार सरकारी स्कुल छात्रों की कम संख्या  के नाम पर बंद किये जाते हे ! माननीय मुख्यमंत्रीजी प्रदेश में अब तक दस हजार से ज्यादा सरकारी स्कुल बंद किये जा चुके जो बेहद चिंतन का विषय हे ! उम्मीद हे आप व् सरकार इस विषय पर भी गंभीरता पूर्वक चिंतन कर प्रदेश की गरीब मध्यम वर्ग की जनता के बच्चो के सरकारी स्कूलों को बंद होने से बचाएंगे ?

- अरविन्द रावल झाबुआ म.प्र. (लेखक स्वयं अध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं )

Sunday, April 23, 2017

युक्ति युक्तकरण एक अंत की शुरूआत-कृष्णा परमार(रतलाम)

   शिक्षा विभाग को हमारे समाज में हमेशा से एक बहुत बड़े सुरक्षित रोजगार के अवसर के रूप में देखा जाता रहा है , एक प्रतिष्ठित और सुलभ मिल जाने वाले रोजगार के रूप में खासकर महिलाओं की पहली पसंद लेकिन विगत कुछ वर्षों से शासकीय शालाओं में गिरते शिक्षा के स्तर का अब बहुत बड़ा प्रभाव देखने को मिल रहा है | वह समय भी दूर नहीं जब हमें आने वाली पिढ़ी को यह कहना पड़ेगा की कभी सरकारी स्कूल भी हुआ करते थे |
     वर्तमान में जारी हुई मध्य प्रदेश अतिशेष शिक्षकों की संख्या साठ हजार  तक पहुंच गई है जो की शिक्षा विभाग की बदहाल स्थिति को दर्शाता है अभी कुछ दिन पहले सरकार ने घोषणा की थी कि 41 हजार संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी उस समय बेरोजगार युवाओं में यह आस बंधी थी कि चलो कुछ तो राहत मिलेगी लेकिन अब यह असंभव सा प्रतीत हो रहा है क्योंकि जब 60 हजार शिक्षक पहले से ही अतिशेष है,  तो नई नियुक्ति कहां दी जा सकती हैं खैर जैसे तैसे इस वर्ष तो इन अतिशेष शिक्षकों का समायोजन कर दिया जाएगा |
लेकिन वह स्थिति दूर नहीं जब शिक्षा विभाग का हाल भी मध्य प्रदेश परिवहन विभाग , मध्यप्रदेश तिलहन संघ जैसा हो जाएगा कि अतिशेष शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विभागों में भेजा जाएगा जैसे राजस्व, पुलिस , पंचायत कर्मचारी आदि और अधिकतर को समय से पूर्व ही सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी जब धीरे धीरे स्कूल ही बंद होते जा रहे हैं तो नई नियुक्ति की आवश्यकता ही कहां पड़ेगी |
      अभी वर्तमान में बेतूल जिले में एक प्रयोग कॉल किया जा रहा है 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाली समस्त शालाओं को बंद करके एक ही जगह पर उन सभी छात्रों को बस द्वारा लाया जाएगा | ऐसी स्थिति में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि शायद हम इस पीढ़ी के आखरी सरकारी अध्यापक या शिक्षक हैं , क्योंकि जब विभाग ही नहीं रहेगा तो कर्मचारियों का क्या काम है और शिक्षा विभाग पर हो रहा हर एक प्रयोग ताबूत की कील साबित हो रहा है ऐसा ताबूत जिसमें से शायद शिक्षा विभाग का जिंदा निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा प्रतीत होता है | कृष्णा परमार (सैलाना जिला रतलाम) लेखक स्वयं अध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं।

Tuesday, April 4, 2017