Tuesday, June 21, 2016

सरकार हमारा आपसी बात चीत देख कर जरूर भरपूर फायदा लेने की ,व्यवस्था बनाने पर विचार करती होगी... प्रशांत दीक्षित खंडवा


 प्रशांत दीक्षित खंडवा - राज्य अध्यापक संघ के आन्दोलन पर कुछ साथी जो अन्य संगठन से है या बना चुके है। वे अनावश्यक गैर जिम्मेदार टिप्पणी करके अपना व अन्य साथियो का वक्त और नेट बेलेंस बेवजह ख़राब कर रहे है।
     विशुद्ध लोकतान्त्रिक व्यवस्था मे हर व्यक्ति को अपनी बात कहने व रखने का पूर्ण अधिकार है..और कहना भी चाहिए। समालोचना भी हो तो कोई दिक्कत नही है और वर्तमान में जो टिप्पणियाँ की जा रही है उसमे भी हमे कोई समस्या नही है। क्योकि ये टिप्पणियाँ ही अध्यापक समुदाय को टिप्पणी करने वाले के बौद्धिक स्तर से परिचय करवा रही है।
      मेरा सिर्फ इतना कहना है की कोई भी व्यक्ति  जब किसी चलने वाली व्यवस्था (संगठन )से अलग होकर कोई काम करता है, तो वह यह कदम इसलिये उठता है की वह पूर्ववर्ती व्यवस्था (अन्य संगठन)से बेहतर करने की क्षमता व माद्दा रखता है।
    यदि वह इस चिंतन और लक्ष्य के साथ नई व्यवस्था(अपने संघ) के साथ चला है तो उसे अध्यापक समुदाय के लिए बेहतर करना चाहिए। ना की गैर जिम्मेदार टिप्पणीयो से अपनी मानसिकता दर्शाना चाहिए।
हमारी आपसी टिका टिपण्णी, आलोचना और आरोप प्रत्यारोप से अध्यापक समुदाय को तो कोई लाभ नही होगा।
पर हाँ सरकार हमारा आपसी चिंतन जान कर जरूर भरपूर फायदा लेने की व्यवस्था बनाने पर विचार करती होगी....?



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Tuesday, June 21, 2016

सरकार हमारा आपसी बात चीत देख कर जरूर भरपूर फायदा लेने की ,व्यवस्था बनाने पर विचार करती होगी... प्रशांत दीक्षित खंडवा


 प्रशांत दीक्षित खंडवा - राज्य अध्यापक संघ के आन्दोलन पर कुछ साथी जो अन्य संगठन से है या बना चुके है। वे अनावश्यक गैर जिम्मेदार टिप्पणी करके अपना व अन्य साथियो का वक्त और नेट बेलेंस बेवजह ख़राब कर रहे है।
     विशुद्ध लोकतान्त्रिक व्यवस्था मे हर व्यक्ति को अपनी बात कहने व रखने का पूर्ण अधिकार है..और कहना भी चाहिए। समालोचना भी हो तो कोई दिक्कत नही है और वर्तमान में जो टिप्पणियाँ की जा रही है उसमे भी हमे कोई समस्या नही है। क्योकि ये टिप्पणियाँ ही अध्यापक समुदाय को टिप्पणी करने वाले के बौद्धिक स्तर से परिचय करवा रही है।
      मेरा सिर्फ इतना कहना है की कोई भी व्यक्ति  जब किसी चलने वाली व्यवस्था (संगठन )से अलग होकर कोई काम करता है, तो वह यह कदम इसलिये उठता है की वह पूर्ववर्ती व्यवस्था (अन्य संगठन)से बेहतर करने की क्षमता व माद्दा रखता है।
    यदि वह इस चिंतन और लक्ष्य के साथ नई व्यवस्था(अपने संघ) के साथ चला है तो उसे अध्यापक समुदाय के लिए बेहतर करना चाहिए। ना की गैर जिम्मेदार टिप्पणीयो से अपनी मानसिकता दर्शाना चाहिए।
हमारी आपसी टिका टिपण्णी, आलोचना और आरोप प्रत्यारोप से अध्यापक समुदाय को तो कोई लाभ नही होगा।
पर हाँ सरकार हमारा आपसी चिंतन जान कर जरूर भरपूर फायदा लेने की व्यवस्था बनाने पर विचार करती होगी....?



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